Monday, March 13, 2023

ہے دل پہ نقش جب سے تصویرِ روئے جاناں
باقی نہیں کچھ اِس میں جز آرزوئے جاناں

کیا عہدِ عاشقی ہے بے سیرِ کوئے جاناں ؟
کیا لطفِ موسمِ گل بے رنگ و بوئے جاناں؟

اعجازِ دلبری سے گلزارِ زندگی کو
فردوس کر گئی ہے خوشبوئے موئے جاناں

دیکھیں گے ہم بھی کیسے رہتا ہے ہوش تجھ کو
اک بار تو بھی ناصح سن گفتگوئے جاناں 

اِس قید میں ہوئے ہم آزادِ فکرِعقبیٰ
!خوشتر ز باغِ رضواں زندانِ موئے جاناں

سر میرا خود بخود ہی جھکتا ہے اُس کے آگے 
دل ہے کہ خود بخود ہی جاتا ہے سوئے جاناں

دلبر کی کج روی کا شکوہ نہ کرنا سمرن
ورنہ دے گا ہزاروں طعنے عدوئے جاناں


 
है दिल पे नक़्श जब से तस्वीर-ए-रू-ए-जानाँ
बाक़ी नहीं कुछ इस में जुज़ आरज़ू-ए-जानाँ

क्या अहद-ए-आशिक़ी है बे सैर-ए-कू-ए-जानाँ
क्या लुत्फ़-ए-मौसम-ए-गुल बे-रंग-ओ-बू-ए-जानाँ

ए'जाज़-ए-दिलबरी से गुलज़ार-ए-ज़िंदगी को
फ़िरदौस कर गई है ख़ूशबू-ए-मू-ए-जानाँ

देखेंगे हम भी कैसे रहता है होश तुझ को
इक बार तू भी नासेह सुन गुफ़्तुगू-ए-जानाँ

इस क़ैद में हुए हम आज़ाद-ए-फ़िक्र-ए-उक़्बा
ख़ुशतर ज़ बाग़-ए-रिज़वाँ ज़िन्दान-ए-मू-ए-जानाँ!

सर मेरा ख़ुद बख़ुद ही झुकता है उस के आगे
दिल है कि ख़ुद बख़ुद ही जाता है सू-ए-जानाँ

दिलबर की कज-रवी का शिकवा ना करना सिमरन 
वर्ना देगा हज़ारों ताने अदू-ए-जानाँ

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